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    Home » Blog » Sarva Dev Pujan Vidhi | हर पूजा को सफल बनाएँ: सरल ‘सर्व देव पूजा विधि’

    Sarva Dev Pujan Vidhi | हर पूजा को सफल बनाएँ: सरल ‘सर्व देव पूजा विधि’

    Manoj VermaBy Manoj Verma06/10/2025No Comments9 Mins Read
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    भारतीय सनातन परंपरा में हर कर्म की शुरुआत से पहले सभी देवी-देवताओं का आह्वान करना आवश्यक माना गया है। इसे ही ‘सर्व देव पूजा विधि’ कहते हैं। यह न केवल हमारी पूजा को पूर्णता प्रदान करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि हमारे कार्य में कोई बाधा न आए और सभी शक्तियाँ हमें आशीर्वाद दें।

    यह ब्लॉग पोस्ट आपको किसी भी छोटे-बड़े धार्मिक अनुष्ठान से पहले, सरल और संक्षिप्त तरीके से सर्व देव पूजा करने की विधि बताएगा।

    सर्व देव पूजा की आवश्यकता क्यों?

    किसी भी विशेष देवता (जैसे शिव, विष्णु, दुर्गा आदि) की पूजा करने से पहले, गणेश जी (विघ्नहर्ता), कलश देवता (तीर्थों का प्रतीक) और नवग्रह (ग्रहों के दोष दूर करने के लिए) का पूजन करना अनिवार्य होता है। सर्व देव पूजा विधि यही सुनिश्चित करती है कि आप किसी भी मुख्य पूजा या शुभ कार्य से पहले सभी आवश्यक शक्तियों को सम्मान दें।


    आवश्यक सामग्री (Puja Samagri)

    • गंगाजल या शुद्ध जल
    • अक्षत (अखंडित चावल)
    • कुमकुम/रोली और चंदन
    • पुष्प और पुष्प माला
    • दूर्वा (गणेश जी के लिए)
    • पान, सुपारी और इलायची
    • फल और मिठाई (नैवेद्य)
    • घी का दीपक और धूप/अगरबत्ती
    • आसन (बैठने के लिए)

    आपका यह प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है। नित्य पूजा (Daily Worship) में मंत्रों का सही उच्चारण और सही कर्म का ज्ञान होना ही पूजा को सफल बनाता है।

    यहाँ आपकी सुविधा के लिए पूजा शुरू करने से लेकर समाप्त करने तक की सरल, क्रमबद्ध विधि और प्रत्येक चरण के लिए आवश्यक मंत्र दिए गए हैं।


    नित्य पूजा की सरल विधि (मंत्र सहित)

    किसी भी पूजा में मूल रूप से पाँच (पंचोपचार) या सोलह (षोडशोपचार) उपचार किए जाते हैं। यहाँ हम पंचोपचार से आगे बढ़कर मुख्य चरणों के मंत्रों को जानेंगे:

    भाग 1: पूजा की तैयारी और शुद्धिकरण

    क्रमक्रिया (Step)मंत्र (Mantra)अर्थ
    1.आत्म-शुद्धि (पवित्रीकरण)हाथ में जल लेकर सिर पर छिड़कें: ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥जो कमल नयन भगवान का स्मरण करता है, वह बाहर और भीतर से शुद्ध हो जाता है।
    2.आचमनतीन बार जल पिएँ: ॐ केशवाय नमः। ॐ माधवाय नमः। ॐ नारायणाय नमः।श्री केशव, माधव और नारायण को नमन है।
    3.आसन शुद्धिआसन पर जल छिड़कें: ॐ पृथ्वि! त्वया धृता लोका देवि! त्वं विष्णुना धृता। त्वं च धारय मां देवि! पवित्रां कुरु चासनम्॥हे पृथ्वी देवी! आपने ही लोक को धारण किया है, आप मुझे धारण करें और मेरे आसन को पवित्र करें।
    4.संकल्पहाथ में जल, फूल, अक्षत लेकर मन में अपनी इच्छा बोलें और जल छोड़ दें।मैं (अपना नाम) नित्य पूजा/विशेष पूजा कर रहा/रही हूँ।

    भाग 2: देव पूजन (षोडशोपचार के मुख्य चरण)

    सबसे पहले श्री गणेश का ध्यान और पूजन करें। इसके बाद अपने इष्ट देव (जैसे शिव, विष्णु, दुर्गा, आदि) का पूजन करें। हर उपचार के साथ बोलें: ‘ॐ [देवता का नाम] नमः, [उपचार का नाम] समर्पयामि।’

    क्रमक्रिया (Step)मंत्र (Mantra)अर्थ
    5.ध्यान (आवाहन)वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥हे गणेश! मैं आपका आह्वान करता हूँ।
    6.आसनआसन के लिए अक्षत (चावल) चढ़ाएँ: इदं आसनम् समर्पयामि।मैं आपको आसन अर्पित करता हूँ।
    7.पाद्य (पैर धोना)चरणों पर जल की बूँदें अर्पित करें: पाद्यं समर्पयामि।मैं आपके चरणों को धोने के लिए जल अर्पित करता हूँ।
    8.अर्घ्यहाथ धोने के लिए जल (चंदन मिश्रित) अर्पित करें: अर्घ्यं समर्पयामि।मैं आपको अर्घ्य (पूजन के लिए जल) अर्पित करता हूँ।
    9.स्नानशुद्ध जल से स्नान कराएँ (या जल छिड़कें): स्नानार्थं जलं समर्पयामि।मैं आपको स्नान के लिए जल अर्पित करता हूँ।
    10.वस्त्रवस्त्र (या मौली/कलावा) चढ़ाएँ: वस्त्रं/उपवस्त्रं समर्पयामि।मैं आपको वस्त्र अर्पित करता हूँ।
    11.गन्ध (चंदन)तिलक/चंदन लगाएँ: गन्धं समर्पयामि।मैं आपको सुगंधित चंदन अर्पित करता हूँ।
    12.अक्षतअखंडित चावल (अक्षत) चढ़ाएँ: अक्षतान् समर्पयामि।मैं आपको अक्षत (अविनाशी चावल) अर्पित करता हूँ।
    13.पुष्पफूल/माला चढ़ाएँ: पुष्पाणि समर्पयामि।मैं आपको पुष्प (फूल) अर्पित करता हूँ।
    14.धूप-दीपधूप-दीप दिखाएँ: धूपं/दीपं दर्शयामि।मैं आपको धूप और दीपक दिखाता हूँ।
    15.नैवेद्य (भोग)भोग (फल, मिठाई) अर्पित करें: नैवेद्यं समर्पयामि।मैं आपको भोग/प्रसाद अर्पित करता हूँ।

    भाग 3: समापन और क्षमा याचना

    क्रमक्रिया (Step)मंत्र (Mantra)अर्थ
    16.आरतीदीपक घुमाते हुए मुख्य आरती मंत्र बोलें: कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितं नमामि॥कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले, करुणा के अवतार, संसार के सार, गले में सर्प की माला धारण करने वाले शिव को, भवानी सहित हृदय में नमन करता हूँ।
    17.परिक्रमाअपने स्थान पर खड़े होकर तीन बार घूम जाएँ: यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च। तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिण पदे पदे॥जन्म-जन्मांतर में किए गए सारे पाप मेरी परिक्रमा के हर कदम पर नष्ट हों।
    18.पुष्पांजलिफूल लेकर इष्ट देव के चरणों में अर्पित करें: पुष्पांजलिं समर्पयामि।मैं आपको श्रद्धापूर्वक फूल अर्पित करता हूँ।
    19.क्षमा प्रार्थनाहाथ जोड़कर क्षमा माँगे: मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं। यत् पूजितं मया देव! परिपूर्णं तदस्तु मे॥ आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥हे सुरेश्वर! मैंने जो भी पूजा मंत्र, क्रिया या भक्ति के बिना की है, उसे आप पूर्ण करें। मैं आह्वान और विसर्जन नहीं जानता, हे परमेश्वर, मुझे क्षमा करें।

    इस प्रकार आप मंत्रों के साथ अपनी नित्य पूजा को विधि-पूर्वक संपन्न कर सकते हैं।

    आपने एक बहुत ही व्यापक और महत्वपूर्ण विषय पूछा है। सर्वदेव पूजा पद्धति (Sarva Dev Puja Paddhati) का अर्थ है सभी देवी-देवताओं का पूजन एक सामान्य और व्यवस्थित विधि से करना। यह पद्धति मुख्य रूप से ‘षोडशोपचार’ (सोलह उपचारों) पर आधारित होती है, जिसका प्रयोग किसी भी देवता के पूजन में किया जा सकता है।

    यहाँ सर्वदेव पूजा पद्धति की विस्तृत जानकारी क्रमबद्ध तरीके से दी जा रही है।


    सर्वदेव पूजा पद्धति (षोडशोपचार विधि)

    यह पूजा विधि दो मुख्य भागों में विभाजित है:

    1. पूर्वांग कर्म: पूजा की तैयारी और शुद्धिकरण।
    2. षोडशोपचार: देवता को सोलह प्रकार की सेवाएँ अर्पित करना।1

    भाग 1: पूर्वांग कर्म (पूजा से पूर्व की तैयारी)

    पूजा शुरू करने से पहले स्वयं को और पूजा सामग्री को पवित्र किया जाता है।

    क्रमकर्म (Action)मंत्र (Mantra)
    1.आत्म-शुद्धि (पवित्रीकरण)हाथ में जल लेकर स्वयं पर और सामग्री पर छिड़कें: ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥
    2.आचमनतीन बार जल पिएँ: ॐ केशवाय नमः। ॐ नारायणाय नमः। ॐ माधवाय नमः।
    3.दीप पूजनदीपक जलाकर उसे तिलक, अक्षत, पुष्प से पूजें: भो दीप! देवरूपस्त्वं कर्मसाक्षी ह्यविघ्नकृत्। यावत्कर्मसमाप्तिः स्यात्तावत्त्वं सुस्थिरो भव॥
    4.संकल्पहाथ में जल, फूल, अक्षत लेकर उद्देश्य (जैसे नित्य पूजा, व्रत, उत्सव) बोलकर जल भूमि पर छोड़ दें। **(उदाहरण: मैं [अपना नाम] आज [देवता का नाम] की पूजा कर रहा/रही हूँ।) **
    5.गणेश-अम्बिका पूजनसबसे पहले गौरी (अम्बिका) और गणेश जी का पूजन करें (किसी भी शुभ कार्य से पहले अनिवार्य)।
    6.कलश पूजनकलश में जल भरकर रोली-मौली से सजाकर, उसमें सर्वतीर्थों का आवाहन करें: ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु॥

    भाग 2: षोडशोपचार (देवता को अर्पित की जाने वाली सोलह सेवाएँ)

    यह मुख्य पूजा का चरण है, जिसमें देवता को अतिथि मानकर उनका सत्कार किया जाता है। सभी उपचारों के लिए सामान्य मंत्र: “ॐ [देवता का नाम] नमः, [उपचार का नाम] समर्पयामि।”

    (उदाहरण: यदि आप शिव जी की पूजा कर रहे हैं, तो ‘ॐ शिवाय नमः, पाद्यं समर्पयामि’ बोलें।)

    क्रमउपचार (Seva/Offering)विवरण (Details)मंत्र में प्रयोग होने वाला शब्द
    1.आवाहनम्देवता को पूजा स्थल पर आने के लिए बुलाना (भावनात्मक निमंत्रण)।आवाहयामि
    2.आसनम्बैठने के लिए आसन (पुष्प/चावल) अर्पित करना।आसनं समर्पयामि
    3.पाद्यम्चरण धोने के लिए जल अर्पित करना।पाद्यं समर्पयामि
    4.अर्घ्यम्हाथ धोने के लिए सुगन्धित जल अर्पित करना।अर्घ्यं समर्पयामि
    5.आचमनीयम्मुख शुद्धि के लिए जल अर्पित करना।आचमनीयं समर्पयामि
    6.स्नानम्शुद्ध जल या पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर का मिश्रण) से स्नान कराना।स्नानं समर्पयामि
    7.वस्त्रम्नए वस्त्र या मौली/कलावा अर्पित करना।वस्त्रं समर्पयामि
    8.यज्ञोपवीतम्जनेऊ (या मौली) अर्पित करना।यज्ञोपवीतं समर्पयामि
    9.गन्धम्चंदन, रोली, कुमकुम या सिन्दूर (देवी के लिए) से तिलक लगाना।गन्धं समर्पयामि
    10.अक्षताःअखंडित चावल (अक्षत) अर्पित करना।अक्षतान् समर्पयामि
    11.पुष्पम्फूल, पुष्पमाला अर्पित करना।पुष्पाणि समर्पयामि
    12.धूपम्धूप (अगरबत्ती) दिखाना।धूपं आघ्रापयामि
    13.दीपम्दीपक/घी का दीप दिखाना।दीपं दर्शयामि
    14.नैवेद्यम्भोग/प्रसाद (मिठाई, फल) अर्पित करना।नैवेद्यं निवेदयामि
    15.ताम्बूलम्मुख शुद्धि के लिए पान (सुपारी, लौंग, इलायची सहित) अर्पित करना।ताम्बूलं समर्पयामि
    16.दक्षिणाफल या द्रव्य दक्षिणा अर्पित करना।दक्षिणां समर्पयामि

    भाग 3: उत्तर-कर्म (पूजा की समाप्ति)

    क्रमकर्म (Action)मंत्र (Mantra)
    17.आरतीकपूर या घी के दीपक से आरती करना। **(प्रमुख मंत्र: कर्पूरगौरं करुणावतारं…) **
    18.प्रदक्षिणा (परिक्रमा)अपने स्थान पर खड़े होकर तीन बार परिक्रमा करना। ॐ यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च। तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिण पदे पदे॥
    19.पुष्पाञ्जलिहाथ में फूल लेकर देवता के चरणों में अर्पित करना।
    20.क्षमा प्रार्थनाहाथ जोड़कर जाने-अनजाने में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा माँगना। मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं। यत् पूजितं मया देव! परिपूर्णं तदस्तु मे॥
    21.विसर्जन (समापन)यदि देवता की मूर्ति/चित्र स्थायी रूप से स्थापित नहीं है, तो उनसे विदा लेने का भाव करें (नित्य पूजा में नहीं किया जाता)।

    यह पद्धति सभी देवी-देवताओं (जैसे शिव, विष्णु, दुर्गा, सूर्य, आदि) के पूजन में प्रयोग की जा सकती है। केवल मंत्र में देवता के नाम का परिवर्तन होता है।

    सर्व देव पूजा की सरल 16 चरण विधि (The 16 Steps of Sarva Dev Pujan)

    यह पूजा विधि षोडशोपचार (सोलह चरण) पर आधारित है, जिसे सरल शब्दों में प्रस्तुत किया गया है।

    1. आत्म-शुद्धि (Self-Purification)

    • सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
    • आचमन: दाहिने हाथ में जल लेकर तीन बार पिएँ और कहें:
    • इसके बाद हाथ धोकर पूजा सामग्री और स्वयं पर जल छिड़कें:

    2. आसन शुद्धि और दीप पूजन

    • आसन को प्रणाम करें।
    • दीपक प्रज्वलित करें और गंध, अक्षत, पुष्प अर्पित कर दीपक का पूजन करें।

    3. संकल्प (Sankalp)

    • हाथ में जल, अक्षत और पुष्प लेकर अपनी मनोकामना बोलें (जैसे: मैं, (आपका नाम), आज (तिथि) को (पूजा का नाम) कर रहा/रही हूँ, आप मेरे कार्य को सफल करें)।
    • जल को भूमि पर छोड़ दें।

    4. गणेश-गौरी पूजन (Worship of Ganesha and Gauri)

    • सर्वप्रथम श्री गणेश जी का आह्वान करें। उन्हें जल, अक्षत, रोली, पुष्प और दूर्वा अर्पित करें।
    • इसी प्रकार माँ गौरी (सुपारी को मौली लपेटकर) का पूजन करें।

    5. कलश पूजन (Worship of Kalash)

    • कलश में जल भरकर, मुख पर मौली बाँधकर, उस पर रोली से स्वास्तिक बनाएँ।
    • कलश पर अक्षत, पुष्प और फल रखकर सभी तीर्थों और वरुण देव का आह्वान करें।

    6. नवग्रह पूजन (Worship of Nine Planets)

    • हाथ में अक्षत लेकर नवग्रहों का ध्यान करते हुए उन्हें आसन ग्रहण करने के लिए कहें।

    7. षोडशोपचार पूजा (The 16 Offerings to the Deities)

    इसके बाद प्रमुख देवता/देवताओं की मूर्ति या चित्र पर निम्नलिखित उपचार अर्पित किए जाते हैं:

    क्रमक्रिया (संस्कृत)अर्थविधि
    8आवाहनम्आमंत्रित करनाहाथ जोड़कर ध्यान करें।
    9आसनम्आसन देनाअक्षत अर्पित करें।
    10पाद्यम्चरण धोनाजल अर्पित करें।
    11अर्घ्यम्अर्घ्य देनासुगंधित जल अर्पित करें।
    12स्नानम्स्नान करानाशुद्ध जल से स्नान कराएँ (या जल छिड़कें)।
    13वस्त्रम्वस्त्रमौली/वस्त्र अर्पित करें।
    14यज्ञोपवीतम्जनेऊजनेऊ अर्पित करें (पुरुष देवताओं को)।
    15गंधम्इत्र/चंदनचंदन या इत्र लगाएँ।
    16अक्षतान्चावलअखंडित चावल (अक्षत) अर्पित करें।
    17पुष्पम्फूलफूल और माला अर्पित करें।
    18धूपम्धूप दिखानाधूपबत्ती दिखाएँ।
    19दीपम्दीपक दिखानादीपक दिखाएँ।
    20नैवेद्यम्भोगफल-मिठाई अर्पित करें।
    21ताम्बूलम्पान-सुपारीपान का पत्ता, सुपारी और लौंग-इलायची अर्पित करें।
    22दक्षिणाम्दानद्रव्य या दक्षिणा अर्पित करें।
    23आरतीआरती करनाकपूर या बाती से आरती करें।
    24प्रदक्षिणाम्परिक्रमाअपने स्थान पर खड़े होकर परिक्रमा करें।

    25. क्षमा प्रार्थना (Apology)

    अंत में, हाथ जोड़कर अपनी पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा माँगे:


    पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

    • मन की एकाग्रता: पूजा करते समय मन को पूरी तरह शांत और ईश्वर में केंद्रित रखें।
    • सामग्री की शुद्धता: पूजा में उपयोग होने वाली सभी वस्तुएँ पवित्र और शुद्ध होनी चाहिए।
    • प्रार्थना भाव: पूजा केवल एक कर्मकांड नहीं है, यह ईश्वर के प्रति समर्पण का भाव है।

    इस सरल विधि को अपनाकर आप अपने घर पर किसी भी पूजा को विधि-विधान से संपन्न कर सकते हैं। क्या आप अपनी अगली पूजा के लिए किसी विशेष मंत्र या स्तोत्र के बारे में जानना चाहेंगे?

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    मेरा नाम मनोज वर्मा है, और मैं SampurnChalisa.in का Founder & Author हूँ। मुझे धार्मिक ग्रंथों और चालीसाओं का गहन अध्ययन और लेखन का शौक है। इस वेबसाइट के माध्यम से मेरा उद्देश्य भक्तों को सरल और सटीक जानकारी प्रदान करना है ताकि वे अपने आध्यात्मिक जीवन को और समृद्ध बना सकें।

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