दुर्गा सप्तशती का पाठ माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने, शत्रुओं पर विजय पाने और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने का एक अत्यंत शक्तिशाली माध्यम है। इसे नवरात्रि के दौरान करना सबसे शुभ माना जाता है, हालांकि आप इसे वर्षभर भी कर सकते हैं।
पाठ की तैयारी (Preparation for Recitation)
- शुद्धि: पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र (लाल या पीले) धारण करें।
- आसन: पाठ हमेशा शांत और पवित्र स्थान पर कुश या लाल ऊनी आसन पर बैठकर ही करना चाहिए।
- स्थापना: माँ दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के सामने, एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर दुर्गा सप्तशती की पुस्तक रखें। घी का दीपक और धूप अवश्य जलाएं।
- संकल्प: हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर अपनी कामना बोलते हुए संकल्प लें कि आप कितने दिनों में और किस उद्देश्य से पाठ कर रहे हैं (जैसे: “मैं, [अपना नाम], [गोत्र] गोत्र में उत्पन्न होकर, माँ दुर्गा की प्रसन्नता और [अपनी मनोकामना] की पूर्ति के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहा/रही हूँ।“)।
पाठ का सही क्रम (Correct Sequence of Recitation)
दुर्गा सप्तशती के मुख्य 13 अध्याय हैं, लेकिन पाठ से पहले कुछ महत्वपूर्ण स्तोत्रों का पाठ करना अनिवार्य माना जाता है, अन्यथा पूर्ण फल नहीं मिलता:
- आचमन और पवित्रीकरण: सबसे पहले पवित्रीकरण मंत्रों के साथ आचमन करें।
- श्री गणेश, गुरु और नवग्रह वंदन।
- शापोद्धार/उत्कीलन मंत्र: यह देवी के शाप को दूर करने के लिए जपा जाता है, जिससे पाठ का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
- सप्तश्लोकी दुर्गा: यह माँ दुर्गा के सात महत्वपूर्ण श्लोकों का संग्रह है।
- कवच, अर्गला, और कीलक स्तोत्र: पाठ शुरू करने से पहले इन तीनों का पाठ अनिवार्य है। इन्हें क्रमशः बीज (कवच), शक्ति (अर्गला) और कीलक (कील) माना जाता है।
- दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय: इसके बाद क्रम से तेरह अध्यायों का पाठ करें।
- क्षमा प्रार्थना: पाठ पूरा होने के बाद माँ से जाने–अनजाने में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा मांगते हुए पाठ उन्हें समर्पित करें।
- आरती: अंत में माँ दुर्गा की आरती करें।
पाठ के नियम और सावधानियाँ (Rules and Precautions)
- उच्चारण: पाठ मध्यम गति से, स्पष्ट उच्चारण के साथ और लयबद्ध तरीके से करना चाहिए। मन ही मन पढ़ना या बहुत जल्दबाजी में पढ़ना उचित नहीं माना जाता है।
- अखंडता: पाठ शुरू करने के बाद बीच में उठना, बातचीत करना या ध्यान भटकाना नहीं चाहिए। यदि पूरा पाठ एक बार में न हो पाए, तो चतुर्थ अध्याय या जहाँ से छोड़ा था, वहाँ क्षमा प्रार्थना करके रुकें और अगले दिन वहाँ से शुरू करें।
- आहार: पाठ के दौरान तामसिक भोजन (मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज) का सेवन बिल्कुल न करें।
- पुस्तक: दुर्गा सप्तशती की पुस्तक को हमेशा एक चौकी या स्टैंड पर सम्मानपूर्वक रखना चाहिए, उसे हाथ में लेकर नहीं पढ़ना चाहिए।
- समय: पाठ के लिए सूर्योदय के बाद या संध्याकाल का समय श्रेष्ठ है।
आप इस पाठ को एक ही दिन में, या अपनी सुविधानुसार तीन भागों (प्रथम चरित्र: अध्याय 1; मध्यम चरित्र: अध्याय 2 से 4; उत्तर चरित्र: अध्याय 5 से 13) में बाँटकर भी कर सकते हैं।एक YouTube वीडियो जो दुर्गा सप्तशती पाठ करने की विधि और लाभ के बारे में विस्तार से बताता है, यहाँ उपलब्ध है: श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करे ? कितने पाठ करने से क्या फायदे होते है ?