Author: Manoj Verma

मेरा नाम मनोज वर्मा है, और मैं SampurnChalisa.in का Founder & Author हूँ। मुझे धार्मिक ग्रंथों और चालीसाओं का गहन अध्ययन और लेखन का शौक है। इस वेबसाइट के माध्यम से मेरा उद्देश्य भक्तों को सरल और सटीक जानकारी प्रदान करना है ताकि वे अपने आध्यात्मिक जीवन को और समृद्ध बना सकें।

|| साईं चालीसा ||पहले साई के चरणों में,अपना शीश नमाऊं मैं।कैसे शिरडी साई आए,सारा हाल सुनाऊं मैं॥ कौन है माता, पिता कौन है,ये न किसी ने भी जाना।कहां जन्म साई ने धारा,प्रश्न पहेली रहा बना॥ कोई कहे अयोध्या के,ये रामचन्द्र भगवान हैं।कोई कहता साई बाबा,पवन पुत्र हनुमान हैं॥ कोई कहता मंगल मूर्ति,श्री गजानंद हैं साई।कोई कहता गोकुल मोहन,देवकी नन्दन हैं साई॥ शंकर समझे भक्त कई तो,बाबा को भजते रहते।कोई कह अवतार दत्त का,पूजा साई की करते॥ कुछ भी मानो उनको तुम,पर साई हैं सच्चे भगवान।बड़े दयालु दीनबन्धु,कितनों को दिया जीवन दान॥ कई वर्ष पहले की घटना,तुम्हें सुनाऊंगा मैं बात।किसी भाग्यशाली…

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॥ दोहा ॥जय जय श्री महालक्ष्मी,करूँ मात तव ध्यान।सिद्ध काज मम किजिये,निज शिशु सेवक जान॥ ॥ चौपाई ॥नमो महा लक्ष्मी जय माता।तेरो नाम जगत विख्याता॥ आदि शक्ति हो मात भवानी।पूजत सब नर मुनि ज्ञानी॥ जगत पालिनी सब सुख करनी।निज जनहित भण्डारण भरनी॥ श्वेत कमल दल पर तव आसन।मात सुशोभित है पद्मासन॥ श्वेताम्बर अरू श्वेता भूषण।श्वेतही श्वेत सुसज्जित पुष्पन॥ शीश छत्र अति रूप विशाला।गल सोहे मुक्तन की माला॥ सुंदर सोहे कुंचित केशा।विमल नयन अरु अनुपम भेषा॥ कमलनाल समभुज तवचारि।सुरनर मुनिजनहित सुखकारी॥ अद्भूत छटा मात तव बानी।सकलविश्व कीन्हो सुखखानी॥ शांतिस्वभाव मृदुलतव भवानी।सकल विश्वकी हो सुखखानी॥ महालक्ष्मी धन्य हो माई।पंच तत्व में सृष्टि…

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|| दोहा ||आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनंवैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं ॥ चौपाई ॥श्री रघुबीर भक्त हितकारी ।सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥ निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।ता सम भक्त और नहिं होई ॥ ध्यान धरे शिवजी मन माहीं ।ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं ॥ जय जय जय रघुनाथ कृपाला ।सदा करो सन्तन प्रतिपाला ॥ दूत तुम्हार वीर हनुमाना ।जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना ॥ तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला ।रावण मारि सुरन प्रतिपाला ॥ तुम अनाथ के नाथ गोसाईं ।दीनन के हो सदा सहाई ॥…

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|| श्री हनुमान जी की आरती ||( Hanuman Ji Ki Arti ) आरती कीजै हनुमान लला की।दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥ जाके बल से गिरिवर कांपे।रोग दोष जाके निकट न झांके॥ अंजनि पुत्र महा बलदाई।सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥ दे बीरा रघुनाथ पठाए।लंका जारि सिया सुधि लाए॥ लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।जात पवनसुत बार न लाई॥ लंका जारि असुर संहारे।सियारामजी के काज सवारे॥ लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे॥ पैठि पाताल तोरि जम-कारे।अहिरावण की भुजा उखारे॥ बाएं भुजा असुरदल मारे।दाहिने भुजा संतजन तारे॥ सुर नर मुनि आरती उतारें।जय जय जय हनुमान उचारें॥ कंचन थार कपूर लौ छाई।आरती करत अंजना…

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|| आरती कुंजबिहारी की ||( Aarti Kunj Bihari Ki ) आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥गले में बैजंती माला,बजावै मुरली मधुर बाला। श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला।गगन सम अंग कांति काली,राधिका चमक रही आली। लतन में ठाढ़े बनमाली;भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,चन्द्र सी झलक;ललित छवि श्यामा प्यारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ आरती कुंजबिहारी कीश्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ आरती कुंजबिहारी कीश्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ कनकमय मोर मुकुट बिलसै,देवता दरसन को तरसैं।गगन सों सुमन रासि बरसै;बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग,ग्वालिन संग;अतुल रति गोप कुमारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ आरती कुंजबिहारी कीश्री गिरिधर कृष्ण मुरारी…

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|| श्री विष्णु चालीसा || ( Vishnu Chalisa ) Lord Vishnu Chalisa | Vishnu Chalisa Hindi | Vishnu Chalisa Lyrics | Lord Vishnu Chalisa || दोहा ||विष्णु सुनिए विनय,सेवक की चितलाय।कीरत कुछ वर्णन करूँ,दीजै ज्ञान बताय॥ ॥ चौपाई ॥नमो विष्णु भगवान खरारी।कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी।त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥ सुन्दर रूप मनोहर सूरत।सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥तन पर पीताम्बर अति सोहत।बैजन्ती माला मन मोहत॥ शंख चक्र कर गदा बिराजे।देखत दैत्य असुर दल भाजे॥सत्य धर्म मद लोभ न गाजे।काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥ सन्तभक्त सज्जन मनरंजन।दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥सुख उपजाय कष्ट सब भंजन।दोष मिटाय करत जन सज्जन॥…

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Lord Shiva Chalisa | Shiv Chalisa Hindi | Shiv Chalisa Lyrics || शिव चालीसा |||| दोहा ||जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान।कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥ ॥ चौपाई ॥जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये।मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।छवि को देखि नाग मन मोहे॥ मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे॥कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप…

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|| श्री शनि चालीसा ||( Shani Dev Chalisa )Shani Chalisa: श्री शनि चालीसा, साढेसाती और शनि दशा में नियमित करें पाठ || दोहा ||जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल करण कृपाल।दीनन के दुःख दूर करि,कीजै नाथ निहाल॥ जय जय श्री शनिदेव प्रभु,सुनहु विनय महाराज।करहु कृपा हे रवि तनय,राखहु जन की लाज॥ ॥ चौपाई ॥जयति-जयति शनिदेव दयाला।करत सदा भक्तन प्रतिपाला।। चारि भुजा तन श्याम विराजै।माथे रतन मुकुट छवि छाजै।। परम विशाल मनोहर भाला।टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला।। कुण्डल श्रवण चमाचम चमकै।हिये माल मुक्तन मणि दमकै।। कर में गदा त्रिशूल कुठारा।पल विच करैं अरिहिं संहारा।। पिंगल कृष्णो छाया नन्दन।यम कोणस्थ रौद्र दुःख भंजन।। सौरि मन्द…

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श्री हनुमान चालीसा( Hanuman Chalisa )Shri Hanuman Chalisa | Jai Hanuman Chalisa- Hanuman Chalisa Lyrics Hindi || दोहा ||श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।बरनउं रघुबर विमल जसु, जो दायकु फल चारि॥ बुद्धिहीन तनु जानिकै, सुमिरौं पवन-कुमार।बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥ ॥ चौपाई ॥जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥राम दूत अतुलित बल धामा।अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥ महावीर विक्रम बजरंगी।कुमति निवार सुमति के संगी॥कंचन बरन बिराज सुवेसा।कानन कुण्डल कुंचित केसा॥ हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजै।काँधे मूँज जनेऊ साजै॥शंकर सुवन केसरीनन्दन।तेज प्रताप महा जग वन्दन॥ विद्यावान गुणी अति चातुर।राम काज करिबे को आतुर॥प्रभु चरित्र सुनिबे…

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Maa Lakshmi Chalisa: माँ लक्ष्मी को धन-धान्य, सुख समृद्धि एवं वैभव की देवी है उनको प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार के दिन करें लक्ष्मी चालीसा का पाठ, और करें अपने कष्टों को दूर। यहाँ प्रस्तुत है संपूर्ण श्री लक्ष्मी चालीसा( Shri Lakshmi Chalisa ) हिंदी में। ॥ दोहा ॥मातु लक्ष्मी करि कृपा,करो हृदय में वास।मनोकामना सिद्ध करि,परुवहु मेरी आस॥ ॥ सोरठा ॥यही मोर अरदास,हाथ जोड़ विनती करुं।सब विधि करौ सुवास,जय जननि जगदम्बिका। ॥ चौपाई ॥सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही।ज्ञान, बुद्धि, विद्या दो मोही॥ तुम समान नहिं कोई उपकारी।सब विधि पुरवहु आस हमारी॥ जय जय जगत जननि जगदम्बा।सबकी तुम ही हो…

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