Author: Manoj Verma

मेरा नाम मनोज वर्मा है, और मैं SampurnChalisa.in का Founder & Author हूँ। मुझे धार्मिक ग्रंथों और चालीसाओं का गहन अध्ययन और लेखन का शौक है। इस वेबसाइट के माध्यम से मेरा उद्देश्य भक्तों को सरल और सटीक जानकारी प्रदान करना है ताकि वे अपने आध्यात्मिक जीवन को और समृद्ध बना सकें।

शिव आवाहन मंत्र भगवान शिव के मुख्य मंत्रों में से एक है, जिसका उपयोग उनकी पूजा और आराधना में शिवजी के स्वागत हेतु किया जाता है। यह मंत्र शिवजी की महिमा, गुणों और उनकी प्राकृतिक शक्तियों की प्रशंसा करता है। शिव आवाहन मंत्र को शिवजी के महत्वपूर्ण और लोकप्रिय मंत्रों में गिना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से भक्त भगवान शिव की कृपा, आशीर्वाद और उनकी प्रसन्नता प्राप्त कर सकते हैं। शिव आवाहन मंत्र । Shiva Aahvaan Mantra ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।। वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे…

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क्या आप धन और ऐश्वर्य की कमी से परेशान हैं? माँ लक्ष्मी, जिन्हें धन की देवी माना जाता है, की कृपा पाने से जीवन में खुशहाली और समृद्धि का मार्ग खुलता है। यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में कभी भी धन और ऐश्वर्य की कमी न हो, तो माँ लक्ष्मी चालीसा (Laxmi Chalisa) का पाठ जरूर करें। खासकर शुक्रवार के दिन, जो माता लक्ष्मी को समर्पित है, उनकी पूजा और विधि-विधान से पाठ करने से माँ का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है। आइए जानते हैं, कैसे माँ लक्ष्मी को प्रसन्न कर अपने जीवन को सुखमय बनाया जा सकता…

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माँ काली का रूद्र रूप जितना खतरनाक और शक्तिशाली माना जाता है, उतना ही उनका ममतामय रूप भी भक्तों के लिए आश्रय और शांति का स्रोत है। काली माता अपनी करुणा से भक्तों के दुखों को दूर करती हैं, लेकिन जब उनका क्रोध जागता है तो वह अपने शत्रुओं का सर्वनाश भी कर देती हैं। यही कारण है कि जब किसी के पास कोई और सहारा नहीं होता, तब वह काली माता की शरण में जाता है। माँ काली का पूजा-अर्चना और Maa Kali Chalisa का पाठ विशेष रूप से इनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। काली माता, दुर्गा…

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|| दोहा || बन्दौ वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान।पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान।मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास।ताते आयों शरण में, पुरवहुं जन की आस। || चौपाई || जै होवै रविदास तुम्हारी, कृपा करहु हरिजन हितकारी।राहू भक्त तुम्हारे ताता, कर्मा नाम तुम्हारी माता। काशी ढिंग माडुर स्थाना, वर्ण अछुत करत गुजराना।द्वादश वर्ष उम्र जब आई, तुम्हरे मन हरि भक्ति समाई। रामानन्द के शिष्य कहाये, पाय ज्ञान निज नाम बढ़ाये।शास्त्र तर्क काशी में कीन्हों, ज्ञानिन को उपदेश है दीन्हों। गंग मातु के भक्त अपारा, कौड़ी दीन्ह उनहिं उपहारा।पंडित जन ताको लै जाई, गंग…

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॥ दोहा ॥ बन्दहुँ वीणा वादिनी, धरि गणपति को ध्यान।महाशक्ति राधा, सहित कृष्ण करौ कल्याण।सुमिरन करि सब देवगण, गुरु पितु बारम्बार।बरनौ श्रीगिरिराज यश, निज मति के अनुसार। ॥ चौपाई ॥ जय हो जय बंदित गिरिराजा, ब्रज मण्डल के श्री महाराजा।विष्णु रूप तुम हो अवतारी, सुन्दरता पै जग बलिहारी।स्वर्ण शिखर अति शोभा पावें, सुर मुनि गण दरशन कूं आवें।शांत कंदरा स्वर्ग समाना, जहाँ तपस्वी धरते ध्याना। द्रोणगिरि के तुम युवराजा, भक्तन के साधौ हौ काजा।मुनि पुलस्त्य जी के मन भाये, जोर विनय कर तुम कूं लाये।मुनिवर संघ जब ब्रज में आये, लखि ब्रजभूमि यहाँ ठहराये।विष्णु धाम गौलोक सुहावन, यमुना गोवर्धन वृन्दावन।…

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॥ दोहा ॥ शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूं प्रणाम।उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम। सर्व साधु और सरस्वती, जिन मंदिर सुखकार।अहिच्छत्र और पार्श्व को, मन मंदिर में धार।| ॥ चौपाई ॥ पार्श्वनाथ जगत हितकारी, हो स्वामी तुम व्रत के धारी।सुर नर असुर करें तुम सेवा, तुम ही सब देवन के देवा।तुमसे करम शत्रु भी हारा, तुम कीना जग का निस्तारा।अश्वसेन के राजदुलारे, वामा की आंखों के तारे। काशीजी के स्वामी कहाए, सारी परजा मौज उड़ाए।इक दिन सब मित्रों को लेके, सैर करन को वन में पहुंचे।हाथी पर कसकर अम्बारी, इक जंगल में गई सवारी।एक तपस्वी देख वहां पर, उससे…

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॥ दोहा ॥ श्री गुरू चरण चितलाय के धरें ध्यान हनुमान |बालाजी चालीसा लिखें दास स्नेही कल्याण ||विश्व विदित वर दानी संकट हरण हनुमान |मेंहदीपुर प्रकट भये बालाजी भगवान | ॥ चौपाई ॥ जय हनुमान बालाजी देव , प्रकट भए यहाँ तीनों देवा |प्रेतराज भैरव बलवाना, कोतवाल कप्तान हनुमाना |मेहदीपुर अवतार लिया है, भक्तो का उध्दार किया है |बालरूप प्रकटे है यहां पर, संकट वाले आते है जहाँ पर |डाकनि, शाकनि अरु जिन्दनी, मशान चुडैल भूत भूतनी |जाके भय से सब भाग जाते, स्याने भोपे यहाँ घबराते |चौकी बंधन सब कट जाते, दूत मिले आनंद मनाते |सच्चा है दरबार तिहारा,…

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॥ दोहा ॥ अलख निरंजन आप हैं , निरगुण सगुण हमेशा ।नाना विधि अवतार धर , हरते जगत कलेश । । बाबा गंगारामजी , हुए विष्णु अवतार ।चमत्कार लख आपका , गूंज उठी जयकार । । ॥ चौपाई ॥ गंगाराम देव हितकारी , वैश्य वंश प्रकटे अवतारी ।पूर्वजन्म फल अमित रहेऊ , धन्य – धन्य पितु मातु भयेउ । उत्तम कुल उत्तम सतसंगा , पावन नाम राम अरू गंगा ।बाबा नाम परम हितकारी , सत सत वर्ष सुमंगलकारी । बीतहिं जन्म देह सुध नाहीं , तपत तपत पुनि भयेऊ गुसाई ।जो जन बाबा में चित लावा , तेहिं परताप अमर…

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॥ दोहा॥ जय जय जय जग पावनी,जयति देवसरि गंग। जय शिव जटा निवासिनी,अनुपम तुंग तरंग॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जननी हरण अघ खानी।आनंद करनि गंग महारानी॥ जय भगीरथी सुरसरि माता।कलिमल मूल दलनि विख्याता॥ जय जय जहानु सुता अघ हनानी।भीष्म की माता जगा जननी॥ धवल कमल दल मम तनु साजे।लखि शत शरद चंद्र छवि लाजे॥ वाहन मकर विमल शुचि सोहै।अमिय कलश कर लखि मन मोहै॥ जड़ित रत्न कंचन आभूषण।हिय मणि हर, हरणितम दूषण॥ जग पावनि त्रय ताप नसावनि।तरल तरंग तंग मन भावनि॥ जो गणपति अति पूज्य प्रधाना।तिहूं ते प्रथम गंगा स्नाना॥ ब्रह्म कमंडल वासिनी देवी।श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि॥…

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॥ दोहा ॥ बन्दौं सन्तोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार।ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार॥भक्तन को सन्तोष दे सन्तोषी तव नाम।कृपा करहु जगदम्ब अब आया तेरे धाम॥ ॥ चालीसा ॥ जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥ श्‍वेताम्बर रूप मनहारी। माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी॥दिव्य स्वरूपा आयत लोचन। दर्शन से हो संकट मोचन॥ जय गणेश की सुता भवानी। रिद्धि- सिद्धि की पुत्री ज्ञानी॥अगम अगोचर तुम्हरी माया। सब पर करो कृपा की छाया॥ नाम अनेक तुम्हारे माता। अखिल विश्‍व है तुमको ध्याता॥तुमने रूप अनेकों धारे। को कहि सके चरित्र तुम्हारे॥ धाम…

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